#1. latest arjuna award winner मिलिए अर्जुन अवॉर्ड विनर शीतल देवी से, कश्मीर की इस लड़की ने बिना हाथ ही तीरंदाजी में किया कमाल पैरा एशियाई खेलों (Para Asian Games) की चैंपियन तीरंदाज शीतल देवी (Sheetal:-
उन्हें ये पुरस्कार साल 2023 में हांगझू चीन में आयोजित चौथे पैरा एशियाई खेलों में तीन गोल्ड मेडल और एक रजत मेडल जित चुकी हैं।
मिलिए अर्जुन अवॉर्ड विनर शीतल देवी से, कश्मीर की इस लड़की ने बिना हाथ ही तीरंदाजी में किया कमाल
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने खेल जगत की हस्तियों को सम्मानित किया। इसमें कश्मीर के छोटे से गांव की रहने वाली शीतल देवी को अर्जुन अवॉर्ड दिया गया।
#2GoldenGirl of India Sheetal Devi:-
मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने खेल जगत की हस्तियों को सम्मानित किया। इसमें जम्मू कश्मीर के छोटे से गांव की रहने वाली शीतल देवी को अर्जुन अवॉर्ड दिया गया। शीतल देवी पहली ऐसी भारतीय तीरंदाज हैं, जिन्होंने बिना हाथों के तीरंदाजी की है। वह पैरों से ही तीरंदाजी करती हैं। चीन में हुए एशिया पैरा गेम्स में 16 साल की शीतल दो गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं। उनकी नजरें अब ओलंपिक गोल्ड मेडल पर हैं। जन्म से दिव्यांग शीतल की कहानी जानते हैं
आतंकवाद से प्रभावित जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के एक दूरदराज पहाड़ी गांव लोई धार की रहने वाली शीतल का जन्म एक गरीब परिवार में बिना हाथों के हुआ था। शीतल फोकोमेलिया नाम की बीमारी से जन्मजात पीड़ित हैं। हालांकि इस बीमारी को शीतल ने कभी अभिशाप नहीं बनने दिया। उनका और उनके परिवार का जीवन चुनौतियों से भरा था लेकिन, परिवार ने इसके आगे कभी घुटने नहीं टेके। 2019 में 11 राष्ट्रीय राइफल नॉर्दर्न कमांड ने उन्हें गोद लिया और परिवार की मदद करनी शुरू की। 2021 में परिवार ने कृत्रिम अंगों के लिए मेजर अक्षय गिरीश की मां मेघना गिरीश से संपर्क किया।
वह मेघना गिरीश थीं, जिनकी मदद से शीतल को कृत्रिम हाथ मिल पाए। लेकिन, शीतल ने अपनी तीरंदाजी की प्रैक्टिस छाती, दांत और पैरों से ही की, वह अपने मजबूत पैरों की मदद से तीरंदाजी करती थी। फिर वो बेंगलुरु की प्रीति राय से मिली और खेल एनजीओ की मदद से तीरंदाजी में लगातार निपुण होती गई।
प्रीति राय की प्रेरणा और अपनी मेहनत के बूते शीतल ने 2023 में विश्व तीरंदाजी प्रतियोगिता में पदक जीता। कोच कुलदीप बैदवान ने शीतल को मुंह और पैरों की मदद से तीरंदाजी सिखाने के लिए विशेष किट डिजाइन की। अपने गुरुओं, मां-पिता का आशीर्वाद और खुद की मेहनत का नतीजा है कि शीतल दो स्वर्ण और एक रजत के साथ एशियाई पैरा खेलों की कुल चार पदक विजेता हैं।
शीतल आज किश्तवाड़ जिले की ही नहीं पूरे देश की आइ लेख हैं। अपनी ताकत और हिम्मत के लिए उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा जा रहा है। अब शीतल की नजर देश के लिए ओलंपिक गोल्ड लाने पर है।
1st arjuna award winner female :-
स्टेफी डिसूजा (Stephie D'Souza)ने 1953 में लंदन में पहले अंतरराष्ट्रीय महिला हॉकी टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व किया और 1961 में टीम की कप्तानी की। स्टेफी डिसूजा भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत अर्जुन पुरस्कार जीतने वाली पहली महिला थीं।
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